बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 इतिहास बीए सेमेस्टर-3 इतिहाससरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 इतिहास
प्रश्न- द्वैध शासन व्यवस्था के गुण एवं दोषों की विवेचना कीजिए।
उत्तर -
द्वैध शासन व्यवस्था
व्यवहारिक रूप से यह व्यवस्था खोखली सिद्ध हुई क्योंकि समस्त शक्ति तो कंपनी के पास थी तथा भारतीय अधिकारी केवल बाहरी मुखौटा मात्र ही थे।यद्यपि द्वैध शासन व्यवस्था में गुणों जैसी कोई बात नहीं थी फिर भी अगर इस प्रणाली के गुणों की बात की जाये तो वे केवल कंपनी के ही हित में थे। इसके गुणों के सम्बन्ध में क्लाइव का मत था कि समस्त शक्ति कंपनी के पास तथा नवाब के पास सत्ता की केवल छाया ही है। इस प्रणाली के गुणों के सम्बन्ध में निम्न बिन्दु दिये जा सकते हैं -
गुण-
1. यदि कंपनी स्पष्ट रूप से राजनैतिक सत्ता हाथ में ले लेती है तो उसका वास्तविक रूप लोगों के सन्मुख आ जाता और संभवतः सारे भारतीय इसके विरोध में एकजुट हो जाते।
2. संभवतः फ्रांसीसी, डच तथा डेन विदेशी कंपनियाँ सुगमता से कंपनी की सूबेदारी को स्वीकारू नहीं करते तथा ब्रिटिश कंपनी को वे कर आदि नहीं देते जो नवाब के फरमानों के अनुसार उन्हें देने होते थे।
3. स्पष्ट राजनैतिक सत्ता हाथ में लेने से इंग्लैण्ड तथा विदेशी शक्तियों के बीच कटुता आ जाती और संभवतः ये सभी शक्तियाँ इंग्लैण्ड के विरुद्ध एक मोर्चा खड़ा कर देती जैसाकि 1778-80 के बीच अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम के समय हुआ था।
4. इंग्लैण्ड के पास ऐसे प्रशिक्षित अधिकारी भी नहीं थे जो शासन का भार संभाल पाते। क्लाइव ने इंग्लैण्ड में अधिकारियों को यह लिखा था कि यदि हमारे पास तीन गुना भी प्रशासनिक सेवा करने वाले व्यक्ति हो तो भी वे इस कार्य के लिए पर्याप्त नहीं होंगे। और जो थोड़े बहुत लोग कम्पनी के पास थे भी, वे भारतीय रीति-रिवाजों तथा भाषा से अनभिज्ञ थे।
5. कोर्ट ऑफ डाइरेक्टर्स उस समय समस्त प्रदेश को ले लेने के पक्ष में नहीं था। क्योंकि इससे कंपनी के व्यापार में बाधा पड़ने की संभावना थी अतः वे लोग प्रदेश के स्थान पर धन में अधिक रुचि रखते थे।
6. क्लाइव यह बात भी समझता था कि यदि वह बंगाल की राजनैतिक सत्ता हाथ में लेगा तो संभवत: अंग्रेजी संसद कंपनी के कार्य में हस्तक्षेप करना आरम्भ कर देगी।
अतः उपर्युक्त बिंदुओं के आधार पर यह स्पष्ट कहा जा सकता है कि द्वैध शासन प्रणाली कंपनी के लिए गुणवत्ता पूर्ण साबित हुई।
दोष -
1. निजामत की शिथिलता के कारण देश में कानून और व्यवस्था लगभग ठप्प हो गई। न्याय तो केवल विडम्बना मात्र रह गया। नवाब में कानून लागू करने तथा न्याय देने की सामर्थ्य नहीं थी। कम्पनी प्रशासन के उत्तरदायित्व को स्वीकार नहीं करती थी। ग्रामीण प्रदेशों में डाकू स्पष्ट रूप से घूमते थे तथा संन्यासी छापामारों के कारण सरकार केवल नाममात्र की ही रह गई थी। आदि से अंत तक समस्त प्रशासन भ्रष्ट हो चुका था। ऐसी अवस्था में बंगाल की जनता को बहुत कष्ट उठाना पड़ा।
2. भारत का अन्न भंडार बंगाल अब उजाड़ बन चुका था। भूमिकर संग्रह करने का भार प्रतिवर्ष अधिकाधिक बोली देने वाले को दे दिया जाता था जिसकी भूमि में स्थाई रूप से कोई अभिरुचि नहीं थी। वे अधिकाधिक लगान प्राप्त करते थे। बंगाल में कृषकों पर भूमि कर अधिक होता था तथा उसके संग्रहण में भी बड़ी कड़ाई होती थी। विलियम बोल्टस जो कंपनी के एक कार्यकर्ता थे, के अनुसार इन निर्धन लोगों के कई बार तो अपने बच्चे तक बेचने पड़ जाते थे तथा भूमि छोड़कर भाग जाना पड़ता था। कई किसान तो डाकू तक बन गये।
3. कृषि की उपज में कमी से व्यापार तथा वाणिज्य पर भी कुप्रभाव पड़ा। 1717 से बंगाल के नवाब ने अंग्रेजों को कर के बिना व्यापार करने के अनुमति दी थी। इसके अनुसार कंपनी के कलकत्ता स्थित गवर्नर की आज्ञा से कोई भी माल बिना निरीक्षण तथा बेरोक-टोक इधर-उधर जा सकता था।
कम्पनी का व्यापार पर लगभग एकाधिकार हो गया तथा इसके कार्यकर्ताओं ने भारतीय व्यापारियों से-कम मूल्य पर माल खरीदकर उन्हें अत्यधिक हानि पहुँचाई। क्लाइव ने स्वयं इन निन्दनीय कार्यों का वर्णन अंग्रेजी संसद में किया था और कहा था कि कंपनी के कार्यकर्ता व्यापारियों के रूप में व्यापार नहीं करते अपितु स्वामियों के रूप में। और इस प्रकार उन्होंने लाखों व्यापारियों के मुँह की रोटी छीन ली तथा उन्हें भिखारी बना दिया।
4. द्वैध शासन का एक दोष यह भी था कि इससे बंगाल के कपड़ा उद्योग की बहुत हानि हुई। कंपनी ने बंगाल के रेशम के उद्योग को निरुत्साहित करने का प्रयत्न किया क्योंकि इससे इंग्लैण्ड के रेशम उद्योग को क्षति पहुँची थी। 1769 में कंपनी के डाइरेक्टरों ने कार्यकर्ताओं को आदेश दिये थे कि कच्चे सिल्क के उत्पादन को प्रोत्साहित करे तथा रेशमी कपड़ा बुनने को निरुत्साहित करें। रेशम का धागा लपेटने वालों को कंपनी के लिए काम करने हेतु बाध्य किया जाता था कुछ जुलाहों ने इस उत्पीड़न से बचने के लिए अपने अंगूठे कटवा दिये थे। अब यह कार्य लाभप्रद नहीं रहा था। कंपनी के एक समकालीन कार्यकर्ता ने इस उत्पीड़न का विवरण दिया है, कि कैसे कंपनी के गुमाश्ते जुर्माना, कैद, कोड़े इत्यादि के भय से जुलाहों को अग्रिम धन लेने तथा माल तैयार करने के लिए बाध्य करते थे। और फिर वे अन्य लोगों के लिए कार्य नहीं कर सकते थे। इन लोगों से दासों की तरह काम लिया जाता था। अतः यह लोग कामधन्धों से दूर रहने लगे जिससे व्यापार मंदा हो गया।
5. द्वैध शासन के कारण ही बंगाली समाज का नैतिक पतन भी आरम्भ हो गया था। कृषक ने अनुभव किया कि यदि वह अधिक उत्पादन करता है तो उसे अधिक कर देना पड़ता है। अतः इतना ही उत्पादन करो जिससे केवल गुजर हो सके। इसी प्रकार वह जुलाहा जो अपने परिश्रम का लाभ स्वंय नहीं भोग सकता था, अब उत्तम कोटि का उत्पादन करने को उद्यत नहीं था कार्य की प्रेरणा समाप्त हो गई थी तथा समाज निर्जीव हो गया।
अतः उपर्युक्त बिंदुओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि द्वैध शासन व्यवस्था के दोष इतने थे जिससे बंगाल में अराजकता तथा भ्रान्ति का वातावरण हो गया।
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- प्रश्न- भारत में सर्वप्रथम प्रवेश करने वाले विदेशी व्यापारी कौन थे? विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में डच शक्ति के आगमन को समझाते हुए डचों के पुर्तगालियों व अंग्रेजों से हुए संघर्षो पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में पुर्तगालियों के पतन के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- फ्रांसीसियों के भारत आगमन एवं भारत में फ्रांसीसी शक्ति के विस्तार को समझाइए।
- प्रश्न- यूरोपीय डच कम्पनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अंग्रेजों का भारत में किस प्रकार प्रवेश हुआ संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- यूरोपीय फ्रांसीसी कंपनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पुर्तगालियों की सफलता के कारण बताइये।
- प्रश्न- पुर्तगालियों के असफलता के कारण बताइये।
- प्रश्न- आंग्ल-फ्रेंच संघर्ष के विषय में बताते हुए इसके मुख्य कारणों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- "अपनी अन्तिम असफलता के बावजूद भी डूप्ले भारतीय इतिहास का एक प्रतिभावान एवं तेजस्वी व्यक्तित्व है।" क्या आप प्रो. पी. ई. राबर्ट्स के डूप्ले की उपलब्धियों के सम्बन्ध में इस कथन से सहमत हैं?
- प्रश्न- भारत में अंग्रेजों की सफलता के क्या कारण थे?.
- प्रश्न- ईस्ट इंडिया कम्पनी के अधीन भारत में हुए सामाजिक और आर्थिक अभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अंग्रेजी कम्पनी के अधीन भारत में सामाजिक एवं धार्मिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "भारत में फ्राँसीसियों की असफलता का कारण डूप्ले था।' इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में साम्राज्य स्थापित करने में अंग्रेजों की सफलता के कारण बताइये।
- प्रश्न- प्लासी के युद्ध के कारण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बक्सर के युद्ध के कारण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कर्नाटक के युद्ध अंग्रेजों और फ्रांसीसियों की सदियों से परम्परागत शत्रुता का परिणाम थे, विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- द्वितीय कर्नाटक युद्ध के कारणों और परिणामों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- उन महत्त्वपूर्ण कारणों का उल्लेख कीजिए जिनसे भारत में प्रभुत्व स्थापना के संघर्ष में फ्रांसीसियों को पराजय और अंग्रेजों को सफलता मिली।
- प्रश्न- क्लाइव की द्वितीय गवर्नरी में उसके कार्यों की समीक्षा कीजिये।
- प्रश्न- क्लाइव द्वारा बंगाल में द्वैध शासन की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- भारत में लार्ड क्लाइव के कार्यों का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
- प्रश्न- "प्रथम अफगान युद्ध भारत के इतिहास में अंग्रेजों की सबसे गम्भीर भूल थी।' समीक्षात्मक मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में आंग्ल- फ्रांसीसी संघर्ष क्या था? इसके महत्त्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- द्वैध शासन व्यवस्था के गुण एवं दोषों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध के कारणों एवं परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बंगाल के कठपुतली नवाबों के कार्यकाल पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बंगाल के द्वैध शासन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- द्वैध शासन की असफलता के क्या कारण थे?
- प्रश्न- कालकोठरी की दुर्घटना क्या थी?
- प्रश्न- नवाब सिराजुद्दौला के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में डच शक्ति के उत्थान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बक्सर का युद्ध (1764) तथा उसके महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लॉर्ड क्लाइव द्वारा किये गये सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'क्लाइव भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक था। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- इलाहाबाद की सन्धि की प्रमुख शर्तें क्या थीं?
- प्रश्न- प्लासी युद्ध के महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अलीनगर की सन्धि (सन् 1757 ई.) बताइये।
- प्रश्न- सिराजुद्दौला के विरुद्ध अंग्रेजों के मीर जाफर के साथ षड्यंत्र को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्लासी के युद्ध (सन् 1757 ई.) के परिणाम बताइये।
- प्रश्न- राबर्ट क्लाइव के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- बक्सर के युद्ध का महत्त्व बताइये।
- प्रश्न- बंगाल में द्वैध शासन का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- कालकोठरी की दुर्घटना क्या थी?
- प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के सुधारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वॉरेन हेस्टिंग्ज के अधीन विदेशी सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 1773 के रेग्युलेटिंग ऐक्ट के गुण-दोष क्या थे?
- प्रश्न- हैदर अली के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध के कारणों एवं परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वॉरेन हेस्टिंग्ज के प्रशासनिक एवं राजस्व सुधारों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के समय नन्दकुमार का क्या मामला था?
- प्रश्न- मराठों के पतन के क्या कारण थे?
- प्रश्न- पानीपत के युद्ध की प्रमुख घटनाएँ क्या थीं?
- प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के समय अवध की बेगमों का क्या मामला था?
- प्रश्न- लार्ड कॉर्नवालिस के सुधारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बंगाल की स्थायी भूमि कर व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कार्नवालिस ने वॉरेन हेस्टिंग्ज का कार्य पूर्ण किया। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- तृतीय मैसूर युद्ध के क्या कारण थे?
- प्रश्न- भूमि कर नीति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- एक साम्राज्य निर्माता के रूप में वेलेजली की भूमिका का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- टीपू और वेलेजली के मध्य चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध की कारणों सहित व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- लार्ड वेलेजली की सहायक सन्धि प्रणाली को समझाते हुए उसके गुण-दोषों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वेलेजली तथा फ्रांसीसियों के बीच सम्बन्धों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- टीपू सुल्तान की पराजय के कारण बताइए।
- प्रश्न- वेलेजली के अधीन अंग्रेजी साम्राज्य के विस्तार एवं कंपनी के प्रदेश की सीमाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- लार्ड वेलेजली के आगमन के समय भारत की राजनीतिक स्थितियाँ क्या थीं?
- प्रश्न- वेलेजली की सहायक सन्धि की शर्तें क्या थीं?
- प्रश्न- वेलेजली के अवध के साथ सम्बन्ध पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वेलेजली की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- ठगी को समाप्त करने के लिए लार्ड विलियम बैंटिक ने कहां तक सफलता प्राप्त की?
- प्रश्न- ब्रिटिश कम्पनी की भारत में आर्थिक एवं शैक्षिक नीति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लॉर्ड विलियम बेंटिक के प्रशासनिक एवं सामाजिक सुधारों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- लार्ड विलियम बैंटिक ने सती प्रथा तथा अन्य क्रूर प्रथाओं को बन्द करने की क्या नीति अपनाई? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विलियम बैंटिक के समाचार पत्रों के प्रति उदार नीति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विलियम बैंटिक के द्वारा नैतिक तथा बौद्धिक विकास के लिए किये गये शैक्षणिक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बैंटिक के वित्तीय तथा न्यायिक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- लार्ड विलियम बैंटिक के प्रशासनिक एवं न्यायिक सुधारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ब्रिटिश भारत में स्त्रियों की स्थिति का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत पर ब्रिटिश शासन के सामाजिक प्रभाव का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अंग्रेजों द्वारा पारित सामाजिक कानून पर निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- 1833 के चार्टर एक्ट पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी की 'हड़पनीति से आप क्या समझते हैं? इस नीति से ब्रिटिश साम्राज्यवाद को कैसे प्रोत्साहन मिला?
- प्रश्न- - डलहौजी के द्वारा किए गए रचनात्मक कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी द्वारा विद्युत तार एवं डाक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी द्वारा रेलवे विभाग में क्या सुधार किये गये?
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी के प्रशासनिक एवं सैनिक सुधारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत के आधुनिकीकरण में लार्ड डलहौजी का योगदान क्या था?
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी को शिक्षा सम्बन्धी सुधारों में कहां तक सफलता प्राप्त हुई? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 1853 के चार्टर एक्ट पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह का परिचय देते हुए अफगानों एवं अंग्रेजों के साथ सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अंग्रेजों और सिक्खों के प्रथम युद्ध के कारण व प्रसिद्ध घटनाओं और परिणामों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- रणजीत सिंह का डोंगरों और नेपालियों से सम्बन्ध को संक्षिप्त में समझाइये |
- प्रश्न- रणजीत सिंह के प्रशासन के अंतर्गत भूमिकर एवं न्याय प्रशासन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह ने सैनिक प्रशासन में कहाँ तक सफलता प्राप्त की? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रथम आंग्ल-सिख युद्ध का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिक्खों और अंग्रेजों के सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- हैदराबाद के एक राज्य के रूप में उदय की परिस्थितियों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- हैदराबाद अकस्मात ही विघटनकारी शक्तियों का शिकार हो गया था, विवेचनात्मक उत्तर दीजिये।
- प्रश्न- 1724-1802 तक की हैदराबाद की राजनीतिक गतिविधियों का अवलोकन कीजिये।
- प्रश्न- टीपू की शासन प्रणाली का सविस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मैसूर राज्य का विस्तृत अध्ययन कीजिए।
- प्रश्न- एंग्लो-मैसूर युद्धों का समीक्षात्मक अध्ययन कीजिये।
- प्रश्न- टीपू सुल्तान और मैसूर पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- मैसूर व इतिहास लेखन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
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- प्रश्न- 1399 ईस्वी से अठारहवीं सदी के मध्य मैसूर राज्य की स्थिति से अवगत कराइये।
- प्रश्न- स्थायी बंदोबस्त से क्या आशय है? लार्ड कार्नवालिस द्वारा स्थायी बंदोबस्त लागू करने के क्या कारण थे?
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- प्रश्न- स्थायी बंदोबस्त ने किस प्रकार जमींदारी व्यवस्था को जन्म दिया?
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